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पटाला-रालेगांव घाट से हो रही रेत चोरी

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प्रशासन बेखबर, रेत तस्करों की मौज

संवाददाता-माजरी

माजरी-पटाला सहित भद्रावती तहसील की जीवनदायनी कही जाने वाली वर्धा नदी में रेत माफियाओं की अचानक से सक्रियता बढ़ गई है. आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टर तथा हाइवा के माध्यम से रेत की अवैध ढुलाई कर रेतचोर प्रशासन के राजस्व को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहे हैं.चन्द्रपुर और यवतमाल जिले से होकर गुजरने वाली वर्धा नदी से माजरी रालेगांव पाटाला,मनगाव और देऊलवाड़ा नदी घाट से रेत का अवैध तरीके से खनन बेरोकटोक जारी है.जिसके पीछे महसूल विभाग की चुप्पी सन्देहजनक है.चोरी के रेत को मुहमाँगे कीमत पर खुलेआम बाजार में बेचा जा रहा है. नागरिकों में चर्चा है की स्थानिक पुलिस प्रशासन और महसुल विभाग और स्थानीय अपराध शाखा के आशीर्वाद के बिना यह कार्य सम्भव नहीं है. मनमानी तरीके से वर्धा नदी के पात्र से रेत चोरी के कारण पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है. जीवनदायिनी नदी के अस्तित्व पर भी संकट गहराता जा रहा है, अनेक जगहों पर वर्धा नदी में रेत की खदानें बन गई है जिसका असर जनजीवन पर भी पड़ रहा है.जानकारी के मुताबिक रेत के इस अवैध कारोबार में माजरी रालेगांव पाटाला, के अलावा आसपास के तहसील के नेता और रेत माफिया काली कमाई साधने में जुटकर दिनरात रेत का अवैध कारोबार खुलेआम कर रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि अगर रेत खनन का विरोध भी किया जाता है, तो उन्हें रेत माफिया और नेताओं का धौंस दिखाकर डराधमका दिया जाता है. अगर प्रशासन से भी शिकायत की जाती है, तो रेत माफिया धमकी देने लगते है और कोई सुरक्षा नहीं मिलती इससे ग्रामीण भी काफी डरे हुए महसूस कर रहे हैं. लोगों की मांग है कि जिलाधिकारी इसपर ध्यान देकर तहसील की नदियों को माफियाओं से उत्खनन मुक्त करावाने रेती घाटों का नीलामी करवा कर करोड़ों रुपये सरकारी राजस्व चोरी को बचाने का कार्य करे.
वर्जन:-
अवैध रेत परिवहन करते समय गश्त के दौरान जितने वाहन पकड़े जाते हैं कारवाई की जाती है,थाने से करवाई करने के बाद महसूल विभाग को खबर देते हैं दण्डात्मक कारवाई करने का अधिकार उन्हें है अबतक कुछ ही दिनों में दस ट्रैक्टर को पकड़ कर करवाई किया हूँ
अजीत सिंह देवरे(थानेदार)माजरी थानाक्षेत्र