*देश की पहली महिला सरपंच*
*गांव की एमबीए सरपंच छवि रजावत*
नई दिल्ली : हमने किताबो, किस्से कहानियों में ऐसी चीजे जरूर पढ़ी होगी जिसमे युवा ने कॉरपोरेट नौकरी छोडक़र खेती का रास्ता अपना लिया। लेकिन ऐसी कहानी शायद ही पड़ी हो, जिसमें एक युवा ने कारपोरेट नौकरी छोडक़र गांव के प्रधान का चुनाव लड़ा और जीत गई। हम बात कर रहे है एक ऐसी लडक़ी की जो देश की पहली महिला सरपंच बनी और जीत गई।
छवि रजावत ने लोगों ने पैदा कर दी मिशाल।।
* राजस्थान की छवि राजावत ने लोगों के लिए मिशाल पैदा कर दी। छवि ने गांव की भलाई के लिए बड़ा त्याग किया। उन्होंने नौकरी ही छोड़ दी। छवि कहती है कि उन्हें अब ऐसे साथी की तलाश है। जो जनसेवा में उनके कदम से कदम मिलाकर चल सके।
*छवि रजावत चुनाव में भाग लेती हुई अपने गांव को बना दिया दूसरे गांवों के लिए रोल मॉडल।।
छवि ने राजस्थान के गांव सोढ़ा की सरपंच बनकर चार साल में ही उसकी सूरत बदल दी। गांव में सबसे बड़ी समस्या पानी की थी। क्योंकि गांव सूखाग्रस्त था। गांव में 40 से अधिक सडक़े बनवाई गई। सौर ऊर्जा पर निर्भरता बढ़वाने के लिए जैविक खेती पर जोर दिया गया। अब छवि का गांव दूसरे गांवों के लिए रोल मॉडल बन गया है। अपने गांव में छवि रजावत केवल अपने प्रयास से 4 दिन में जुटा दिए 20 लाख रुपए।
छवि के अनुसार सरपंच बनने के बाद उनके लिए सबसे बड़ी समस्या पानी की थी। इसके लिए पैसा चाहिए था। सरकार ने पैसा देने से मना कर दिया। निजी कंपनियोंं ने भी मदद नहीं की। अंत में हारकर छवि ने अपने पिता, दादा और तीन दोस्तों के प्रयास से चार दिन में 20 लाख रुपए एकत्र किए। इसके बाद उसका इंटरव्यू रेडियो पर हुआ। छवि की बात से प्रभावित होकर दिल्ली की महिला ने 50 हजार रुपए का चेक भेज दिया। इसके बाद छवि ने तालाब खुदवाया। जब बरसात हुई तो पानी एकत्र हो गया।
*परिवार से मिला सबसे बड़ा सहयोग।।
छवि का कहना है कि उन्हें अपने परिवार से सबसे बड़ा सहयोग मिला। गांव वालों ने जिस तरह से मुझे सरपंच बनाया कुछ साल पहले मेरे दादा जी को भी इस तरह से सरपंच बनाया था। मैने सरपंच का चुनाव जीतकर गांव के हालात बदलने का निर्णय लिया। उनके सरपंच बनने से पहले गांव में शिक्षा का स्तर 50 प्रतिशत से कम था। जो कि फिलहाल काफी अच्छी स्थिति में है। हमने गांव में शिक्षा का स्तर 100 प्रतिशत तक पहुंचाया।
*किसी स्टार से कम नहीं छवि*
छवि गांव में किसी स्टार से कम नहीं है। लोगों का लगता था कि उनकी सरपंच सिर पर पल्लू , चेहरे पर संकोच और शब्दो की हकलाहट होगी। लेकिन लोगों ने देखा तो बिल्कुल उल्टा था। उनके सामने खड़ी सरपंच बिल्कुल मॉडल की तरह लग रही थी।